ऑटोइम्यून डिसऑर्डर बीमारी के क्या-क्या लक्षण हैं

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर बीमारी के क्या-क्या लक्षण हैं

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune Diseases) बीमारी के क्या-क्या लक्षण हैं आइये जानते हैं। ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune Diseases) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी) ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगती है। इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी के चलते 'ऑटो-एंटीबॉडी' नामक प्रोटीन बनने लगता है जो स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है। ऑटोइम्यून विकारों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। कुछ विकार केवल शरीर के एक अंग को प्रभावित करते हैं जबकि कुछ एक साथ कई अंगों पर असर डालते हैं। इनकी संख्या 80 के आसपास है। शरीर की किस अंग प्रणाली को नुकसान पहुंचा है और किस हद तक, इलाज के लिए यह जानना बहुत जरूरी है।

ऑटोइम्यून बीमारियां उन लोगों में ज्यादा होती हैं जो मोटापा, खराब जीवनशैली और गलत खानपान के शिकार हैं। इन बीमारियों का कोई ख़ास इलाज नहीं है लेकिन अगर इस बीमारी की ठीक समय पर पहचान कर ली जाए तो इन्हें बढ़ने से रोका जा सकता है। 

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर बीमारी से किस अंग में कौन-सा रोग होता है ?

मधुमेह (टाइप I)

यह पैनक्रियाज को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना और वजन कम होना शामिल है। 

ग्रेव्स रोग

यह थाइरॉयड ग्रंथि पर असर डालता है। इसके लक्षणों में वजन कम होना, ह्रदय गति में वृद्धि, चिंता और दस्त शामिल हैं।
 

आंतों का रोग

इसमें अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोन रोग शामिल हैं। इनके लक्षणों में उल्टी, दस्त, पेट में जलन और दर्द शामिल हैं।
 

मल्टीपल स्केलेरोसिस

यह नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसकी गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि नर्वस सिस्टम का कौन सा हिस्सा प्रभावित है। इसी आधार पर शरीर के किसी हिस्से का सुन्न होना, लकवा और नजर कमजोर पड़ने जैसे लक्षण सामने आते हैं।
 

रूमेटाइड आर्थराइटिस

यह जोड़ों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में सूजन और जोड़ों की हड्डियों का टेढ़ा-मेढ़ा होना शामिल है। कुछ रोगियों में आँख, फेफड़े और ह्रदय संबंधी रोग भी पैदा हो जाते हैं।
 

स्क्लेरोडर्मा

यह त्वचा की समस्या है। इसके चलते क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत नहीं हो पाती। त्वचा का मोटा होना, त्वचा के छाले और हड्डियों के जोड़ों का कठोर होना इसके मुख्य लक्षणों में शामिल हैं।

अगर आप में किसी ऑटोइम्यून बीमारी के लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और इलाज शुरू कराएं। जीवनशैली में बदलाव इन बीमारियों से निजात पाने के लिए बहुत आवश्यक है। डॉक्टर दर्दनिवारक और सूजन खत्म करने वाली दवाएं दे सकते हैं। जिन लोगों को चलने-फिरने में दिक्कत हो रही हो उनको फिजियोथैरेपी की सलाह दी जाती है। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए संतुलित आहार लेना होगा, साथ ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने पर जोर देना होगा। ऐसा करने से आपकी इम्युनिटी आपको बीमार नहीं कर पाएगी।
 

निदान कैसे करें ?

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर का सटीक और सही समय पर निदान मुश्किल होता है खासकर जब इससे होने वाली बीमारी शुरूआती चरण में हो या कई अंगों को नुकसान पहुंचा रही हो। इसके लिए लक्षणों के आधार पर रोगी की शारीरिक जांच की जाती है। पहले हो चुकी बीमारियों का इतिहास जानना भी एक अहम कड़ी है। डॉक्टर इसके लिए खून की जाँच (जिनमें ऑटो-एंटीबॉडी का पता लगाना शामिल है), डॉक्टर बायोप्सी और एक्स-रे का सहारा लेते हैं।
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