हाइपोक्सिया के हालात से कैसे बचें

हाइपोक्सिया के हालात से कैसे बचें

हाइपोक्सिया के हालात से कैसे बचें आइये समझते हैं। जिंदगी सांसों का खेल है। जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन कितना जरूरी है हम खूब अच्छी तरह से जानते हैं। कुछ स्थितियां हैं जिनमें शरीर में ऑक्सीजन का स्तर अचानक कम होने लगता है। ऐसी ही एक स्थिति है 'हाइपोक्सिया (Hypoxia)'। हाइपोक्सिया (Hypoxia) में शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। सामान्य रूप से हाइपोक्सिया (Hypoxia) रक्त में ऑक्सीजन की कमी का संकेत है। यह पूरे शरीर या फिर किसी एक ख़ास हिस्से को प्रभावित करती है। इससे पीड़ित होने पर व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है यहां तक कि वह हांफने भी लगता है। सांस नली में रुकावट के कारण सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आती है।

चक्कर आना, मिचली, बेहोशी, थकान, पांव में झुनझुनी और शरीर पर काबू न रहना आदि इसके अन्य लक्षण हैं। गंभीर हाइपोक्सिया (Hypoxia) में भ्रम की स्थिति, व्यवहार में बदलाव, तेज सिरदर्द, दिल की धड़कन का बढ़ना (टैचीकार्डिया), जल्दी-जल्दी सांस लेना, रक्तचाप में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। रक्तचाप में अचानक कमी से मृत्यु तक हो सकती है। कभी-कभी हाइपोक्सिया (Hypoxia) से प्रभावित लोग बहुत ज्यादा बोलने, हंसने या रोने भी लगते हैं।

हाइपोक्सिया (Hypoxia) कई कारणों से हो सकती है। जिन लोगों को 'क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)' जैसी फेफड़ों से संबंधित बीमारियां हैं उनमें हाइपोक्सिया (Hypoxia) का खतरा अधिक रहता है। फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने के परिणामस्वरूप भी हाइपोक्सिया (Hypoxia) हो सकता है। जो लोग दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन करते हैं वह भी इसके शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा पोषण की कमी और एनीमिया के कारण भी इसका खतरा बना रहता है। जब तक लक्षण दिखने न लगें तब तक इसकी पहचान नहीं हो पाती।

हाइपोक्सिया (Hypoxia) की स्थिति आने के कुछ समय बाद ही मस्तिष्क, लीवर और अन्य अंगों को क्षति पहुंचनी शुरू हो जाती है। यही कारण है कि सही समय पर इसका निदान कर पाना बहुत कठिन होता है। इस समस्या से सभी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं। इससे बचने के लिए सांस संबंधी व्यायाम अपनी दिनचर्या में शामिल करें। धूम्रपान न करें, प्रदूषण से बचें, खानपान ठीक रखें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। हाइपोक्सिया (Hypoxia) की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
 

हाइपोक्सिया (Hypoxia) का इलाज क्या है ?

हाइपोक्सिया (Hypoxia) का पता लगाने के लिए कई परीक्षण किए जाते हैं। अंगुलियों, हथेलियों और होठों के रंग से खून में ऑक्सीजन स्तर का पता लगाया जाता है। ऑक्सीजन की कमी का पता लगाने के लिए पल्स ऑक्सीमेट्री और लंग फंक्शन टेस्ट जैसी जांचें भी की जाती हैं। ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए रोगी को कृत्रिम रूप से ऑक्सीजन दिया जाता है। गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। हाइपोक्सिया (Hypoxia) से पीड़ित मरीजों को ऑक्सीजन थैरेपी और जरूरी दवाएं दी जाती हैं। कभी-कभी सर्जरी जैसे विकल्पों की भी जरूरत पड़ सकती है। कुछ मरीज जल्द ही ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ का इलाज लंबे समय तक चलता है।
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