रविवार को छुट्टी क्यों होती है इसकी कहानी जानिए

रविवार को छुट्टी क्यों होती है इसकी कहानी जानिए

रविवार को छुट्टी (Holiday ) क्यों होती है आइये जानते हैं। जब आपके बच्चे स्कूल या आप ऑफिस जाते होंगे तो सोचते होंगे कि जल्दी से रविवार का दिन आये और आप घर रहते हुए ढेर सारी मौज-मस्ती कर सकें। आपको पता है कि रविवार के दिन स्कूल की छुट्टी जरूर रहेगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रविवार के दिन छुट्टी की शुरुआत कब, क्यों और कैसे हुई ? आइये जानते हैं।

दुनिया में ब्रिटेन ही एक ऐसा देश था जिसने सबसे पहले रविवार के दिन छुट्टी की शुरुआत की थी। रविवार के दिन छुट्टी का आदेश सबसे पहले सन 1843 में ब्रिटेन के गवर्नर जनरल ने पारित किया था। इस आदेश के बाद वहां कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ-साथ स्कूली बच्चों के लिए भी रविवार की छुट्टी करना अनिवार्य बना दिया गया। उससे पहले के समय तक इन कारखानों में काम करने वाले कर्मचारी हफ्ते के सातों दिन लगातार काम करते थे जिससे कर्मचारीयों की थकान के साथ-साथ उनके काम करने की क्षमता में कमी आने लगती थी। वहीं स्कूलों में छुट्टी देने का मकसद यह था कि बच्चे एक दिन घर पर रहते हुए कुछ रचनात्मक कार्य कर सकें।

आज दुनिया के ज्यादातर देशों में रविवार के दिन छुट्टी रहती है लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जहां छुट्टी का अलग दिन तय है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में सन 1890 से पहले तक रविवार को छुट्टी नहीं होती थी। लोगों के लिए हफ्ते के सातों दिन बराबर होते थे। अंग्रेजों ने भारत में धीरे-धीरे कई कारखानों की स्थापना की। कई भारतीय कर्मचारी इन कारखानों में पूरे हफ्ते काम करते रहते थे और उन्हें आराम करने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था जिससे उन्हें बहुत थकान हो जाती थी साथ में उनके काम करने की क्षमता कम हो जाती थी।

लेकिन ब्रिटिश हुकूमत के डर से वे अपनी बात सामने नहीं रख पाते थे। ऐसे समय में कर्मचारियों के लिए एक नेता नारायण मेघाजी लोखंडे उनके लिए आगे आए। नारायण मेघाजी लोखंडे ने कर्मचारियों के हक के लिए आवाज उठाते हुए ब्रिटिश सरकार से सप्ताह में एक दिन की छुट्टी देने की मांग की। इसके लिए उन्होंने सन 1881 में अंग्रेजों के सामने बाकायदा प्रस्ताव रखा लेकिन अंग्रेजों ने उनकी बात मानने से इंकार कर दिया। लोखंडे भी अपनी धुन में पक्के थे। नारायण मेघाजी लोखंडे ने अपनी बात मनवाने के लिए कई साल आंदोलन किया। आखिरकार अंग्रेजों को नारायण मेघाजी लोखंडे की बात माननी पड़ी और 10 जून, 1890 को देश में रविवार के दिन छुट्टी की शुरुआत हुई और तब से रविवार हमारे लिए छुट्टी का दिन बना हुआ है।
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