फेस रिकॉग्निजेशन अटेंडेंस सिस्टम के बारे में जानिए

Face Recognition Attendance System के बारे में जानिए
फेस रिकॉग्निजेशन अटेंडेंस सिस्टम तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित है, जो किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए चेहरे के विशेष गुणों का उपयोग करती है। स्किन पैटर्न से लेकर चेहरे की 3D आकृति बनाने तक यह कई रूपों में विकसित हुई है।आजकल Face Recognition Attendance System इस्तेमाल बहुत अधिक बढ़ गया है। बैंकिंग, बीमा और हवाई यात्रा के अलावा इस तकनीक का उपयोग कानूनी और सरकारी कामकाज और दफ्तर में हाजिरी लगाने जैसे कामों में भी किया जा रहा है। लेकिन इसके कुछ खतरे भी हैं। अगर सतर्कता नहीं बरती गयी तो इससे कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।
इससे मिलती-जुलती एक और तकनीक है जिसे Face Detection कहा जाता है। यह डिजिटल डाटा और तस्वीरों में किसी इंसान की पहचान को प्रमाणित करती है। Face Recognition बायोमेट्रिक तकनीक है जो किसी मानव चेहरे के प्रत्यक्ष मौजूद होने पर उसकी पहचान को प्रमाणित करती है। सबसे पहले कैमरे द्वारा चेहरे और उसकी विशेषताओं को कैप्चर किया जाता है फिर सॉफ्टवेयर के जरिये उनकी क्वालिटी को सुधारा जाता है।
किसी व्यक्ति का चेहरा डाटाबेस में किसी सी मेल खाता है या नहीं, इसे प्रमाणित करने के लिए यह तरीका बहुत सटीक है। 
Face Recognition हो या Face Detection, ये दोनों ही मशीन लर्निंग एल्गोरिथ्म का सहारा लेते हैं।
चेहरा पहचानने की शुरुआत आमतौर पर आँखों से होती है। अगर बात नहीं बनती तब AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) मुंह, नाक और होठों के आधार पर पता लगाने का प्रयास करता है। जब इसे मनचाही जानकारी मिल जाती है तो यह दोबारा इसकी पुष्टि करता है। कभी-कभी त्वचा के रंग का उपयोग भी चेहरों को खोजने के लिए किया जा सकता है हालांकि इसके नतीजे बहुत भरोसेमंद नहीं होते। कुछ समय पहले तक Face Recognition तकनीक का प्रयोग फोन या कंप्यूटर को लॉक-अनलॉक करने के लिए किया जाता था लेकिन अब रियल टाइम ट्रैकिंग और बायोमेट्रिक सर्विलांस के लिए भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। हवाई यात्रा के लिए Face Recognition का इस्तेमाल बोर्डिंग पास की तरह किया जाने लगा है। यह पासपोर्ट का विकल्प भी बन रही है।

Face Recognition में खतरे भी बहुत हैं इसलिए रिस्क फैक्टर का जरूर ध्यान रखें :

Face Recognition प्रणाली के कुछ खतरे भी हैं। एक तो यह तकनीक महंगी बहुत है, दूसरे इससे निजता के हनन का खतरा बढ़ जाता है। सुरक्षा एजेंसियां इस डाटाबेस का इस्तेमाल कहां और कैसे करेंगी इस बात को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। निजी कंपनियां अपने फायदे के लिए इसका दुरूपयोग भी कर सकती हैं। साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए डाटाबेस को सुरक्षित रखना भी बहुत मुश्किल काम है ताकि सूचनाएं लीक न हों। संग्रहित सूचनाओं की मात्रा बहुत बड़ी होती है जिसके लिए विशाल नेटवर्क और डाटा भंडारण सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
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