हाथों और पैरों में या शरीर के किसी हिस्से में झनझनाहट होती है तो आपको ये बीमारी हो सकती है

अगर आपके हाथों और पैरों में या शरीर के किसी हिस्से में झनझनाहट होती है तो आपको ये बीमारी हो सकती है

हाथों और पैरों में झनझनाहट या शरीर के किसी हिस्से, जलन या झनझनाहट को अगर आप लंबे समय तक नजरअंदाज करते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है, हो सकता है कि आप 'थ्रोम्बो-एन्जाइटिस ऑब्लिट्रेन्स' जैसी घातक बीमारी के शिकार हो रहे हों। यह बीमारी नसों से संबंधित होती है। इसे 'बुर्जर रोग' के नाम से भी जाना जाता है। अगर आपके हाथों और पैरों में या शरीर के किसी हिस्से में झनझनाहट होती है तो आपको ये बीमारी हो सकती है। 
इस बीमारी से ग्रस्त होने पर शरीर की कुछ नसों में सिकुड़न आने लगती है। कभी-कभी खून की सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं में थक्का भी जमने लगता है। आमतौर पर यह बदलाव बहुत धीमा होता है, जिस पर हम ध्यान नहीं देते। हम जाने-अनजाने इसे तब तक अनदेखा करते रहते हैं जब तक कि समस्या गंभीर न हो जाए।
थ्रोम्बो-एन्जाइटिस ऑब्लिट्रेन्स से प्रभावित होने पर हाथों और पैरों में अचानक तेज दर्द होने लगता है। मरीज की अंगुलियां पिली, लाल या नीली दिखाई देने लगती हैं और छूने पर ठंडी महसूस होती हैं। ऐसा खून के प्रवाह में रुकावट के कारण होता है। रक्त वाहिकाओं के बाधित होने से कलाई या घुटनों में गठिया के लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
इस बीमारी में आराम करने पर भी हाथों और पैरों में दर्द लगातार बना रहता है। किसी भी तरह का तनाव होने पर समस्या अधिक बढ़ जाती है। अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न किया गया तो हाथों और पैरों में छाले भी पड़ने लगते हैं। जाड़े के मौसम में ऐसी परेशानियां बढ़ जाती हैं। हाथों के मुकाबले पैरों में इस बीमारी के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। कभी-कभी पैरों में जख्म हो जाते हैं जिसका इलाज बेहद मुश्किल होता है।
धूम्रपान इस बीमारी की मुख्य वजह है। अनियमित जीवनशैली और खान-पान की गलत आदतें भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। यह रोग किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन 25 से 40 साल के लोगों में इसका प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है। अब तो महिलाएं भी थ्रोम्बो-एन्जाइटिस ऑब्लिट्रेन्स की चपेट में आ रही हैं।
इस घातक बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि किसी भी रूप में तंबाकू के सेवन से परहेज करें। जिन लोगों में इस बीमारी की शुरुआत हो चुकी है, वे खुद को ठंडे वातावरण से बचाएं ताकि खून का प्रवाह सामान्य बना रहे। नियमित तौर पर व्यायाम करें। जीवन-शैली को बेहतर बनाने की कोशिश करें। इसके लिए योग और मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। कोई लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें। इस बीमारी के लक्षणों को लंबे समय तक नजरअंदाज करने पर इसका ठीक होना काफी मुश्किल हो जाता है इसलिए सही समय पर इलाज बहुत जरूरी है।

क्या है उपाय ?

थ्रोम्बो-एन्जाइटिस ऑब्लिट्रेन्स जैसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर कुछ परीक्षण करते हैं। प्लेथिस्मोग्राफी, रक्त वाहिकाओं का अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे आदि कुछ मुख्य जांच हैं। कुछ जटिल मामलों में जब रोग की स्थिति स्पष्ट नहीं होती तो रक्त वाहिका की बायोप्सी भी की जाती है। दवाइयों से मरीज का इलाज तीन महीने से एक साल तक चलता है।
समस्या के बढ़ने पर सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। इस तरह की सर्जरी में रक्त के प्रवाह को बाधित करने वाली नस काटकर निकाल दिया जाता है। इसके निकाले जाते ही बाकी की नसें खुल जाती हैं और उनमें सामान्य रूप से रक्त का प्रवाह होने लगता है। पूरी तरह ठीक होने के लिए मरीज को धूम्रपान की सलाह दी जाती है।
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