डायपर का कितना इस्तेमाल करें ?

डायपर का कितना इस्तेमाल करें ?

आजकल की आपा-धापी भरी जिंदगी में डायपर (Diaper) किसी जादू से कम नहीं, खासकर उन माता-पिता के लिए जो एकल परिवार में रहते हैं। कुछ समय पहले तक कहीं आने-जाने के समय ही बच्चों को डायपर पहनाने की जरूरत महसूस होती थी, लेकिन अब कई माता-पिता व्यस्तता के चलते, तो कुछ काम से बचने की वजह से घर में भी बच्चों को लंबे समय तक डायपर पहनाते हैं।
इसे न धोने की समस्या होती है और न ही लीक होने की चिंता रहती है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि लंगोट के झंझट से Diaper ने बहुत राहत दी है। हालांकि बच्चों के लिए डायपर का उपयोग करने के कुछ नुकसान भी हैं, जिनके बारे में आपको जानना बहुत जरूरी है ताकि आप अपने लाडले को इससे होने वाली दिक्कतों से महफूज रख सकें।

एलर्जी की आशंका :

बच्चों की त्वचा कोमल और संवेदनशील होती है। कुछ Diapers में सिंथेटिक फाइबर और डाई जैसे अन्य रासायनिक उत्पादों का उपयोग होता है। ये सभी कठोर रसायन आपके बच्चे की संवेदनशील त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं और एलर्जी का कारण बन सकते हैं। इसलिए ऐसा डायपर चुनें जो मुलायम हो और त्वचा के अनुकूल सामग्री से बना हो साथ ही बायो-डिग्रेडेबल भी हो।

स्किन रैशेज :

शिशुओं में Diaper से रैशेज बहुत आम हैं। यदि गीले डायपर को सामान्य से अधिक समय तक छोड़ दिया जाए तो गीले-गंदे Diaper में बैक्टीरिया पनप सकते हैं और रैशेज हो सकते हैं। रैशेज के जोखिम को कम करने के लिए डायपर को नियमित रूप से बदलते रहें।

संक्रमण का जोखिम :

डायपर के अंदर हवा आसानी से नहीं जाती है। इस कारण बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है। डायपर के अत्यधिक उपयोग से बच्चे की त्वचा और अन्य संक्रमणों की चपेट में आने का खतरा होता है। अपने लाडले को संक्रमणों से बचाने के लिए डायपर का लगातार इस्तेमाल कम करें।

त्वचा पर तेल या क्रीम :

Diaper बेबी को गीला रहने से बचाने के लिए बनाए गए हैं जैसे कि सैनिटरी पैड। अगर कुछ सावधानी बरती जाए तो डायपर छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित हैं। बच्चों को दिक्कत से बचाने के लिए कुछ छोटी, मगर ख़ास बातों का ध्यान रखना चाहिए। मसलन Diaper की सोखने की क्षमता ज्यादातर 5 या 6 घंटे की होती है लेकिन सावधानी बरतनी जरूरी है अन्यथा बच्चे की त्वचा पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। हमेशा डायपर  के इस्तेमाल से पहले और बाद में बच्चे की त्वचा पर तेल या क्रीम जरूर लगाएं।

बचाव के लिए इन ख़ास बातों का जरूर ध्यान रखें :

  • समय-समय पर Diaper को बदल देना चाहिए अन्यथा गीला रहने से रैशेज हो सकते हैं।
  • हर बार Diaper बदलने पर बच्चे को थोड़ा तेल लगा दें या प्री-रैश क्रीम लगा दें तो ये इंसुलेटर की तरह काम करेंगे।
  • साल भर से बड़े बच्चों को समय से टॉयलेट ट्रेनिंग शुरू कराएं और पॉटी सीट का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • कुछ डायपर तो इंडिकेटर के साथ आते हैं। कब बदलना है खुद ही संकेत देते हैं।
  • बदलने का समय मौसम के हिसाब से भी बदल जाता है। मौसम ठंडा होने पर Diaper जल्दी बदलना होता है।
  • किसी भी रिसाव से बचने और बच्चे को सहज महसूस कराने के लिए अच्छा और फिट डायपर जरूरी है।
  • मुलायम, केमिकल फ्री डायपर बच्चे की नाजुक त्वचा को दिक्कत नहीं देते और रैशेज को रोकते हैं। बच्चे को आरामदेह और एलर्जी/रैशेज-मुक्त रखने के लिए नरम डायपर ही चुनें।
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