एग्रो स्टार्टअप के क्षेत्र के बारे में जानिए

एग्रो स्टार्टअप के क्षेत्र के बारे में जानिए

आमतौर पर कृषि को नुकसान के नजरिये से देखा जाता है, मगर अब यह तस्वीर बदल रही है। अगर नई सोच और आधुनिक तकनीक समावेश कर एग्रो स्टार्टअप के रूप में कृषि क्षेत्र में प्रवेश किया जाए तो पैसे के साथ-साथ दूसरों की समस्याएं भी हल कर सकते हैं। यदि आपकी कृषि और विभिन्न प्रोडक्ट्स में दिलचस्पी है तो आपका करियर चमक सकता है।

एग्रो स्टार्टअप क्या है ?

आमतौर पर स्टार्टअप यानी नई कंपनी शुरू करने को कहा जाता है जिसको कोई युवा स्वयं या दो-तीन साथियों के साथ मिलकर शुरू कर सकता है। एग्रो स्टार्टअप मुख्य रूप से कृषि या उससे जुड़े क्षेत्र में काम करते हैं। इसमें इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक की मदद से तकनीक, गैर-तकनीकी और वित्तीय क्षेत्र में काम शुरू किया जाता है। एग्रो स्टार्टअप वैसे प्रोडक्ट्स या सर्विस को लॉन्च करते हैं, जो कि मार्केट में उपलब्ध नहीं होता है।

कृषि स्टार्टअप की बढ़ोत्तरी कैसी है ?

एक शोध के अनुसार दुनिया में हर नौवां एग्रीटेक स्टार्टअप भारत में शुरू हो रहा है। तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां नए बिजनेस मॉडल के साथ इसमें आ रही हैं। यह सेक्टर औसतन 25 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। मोदी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कृषि क्षेत्र के स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने की नीति बनाई है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार के तहत 'नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास' कार्यक्रम के पहले चरण में 112 स्टार्टअप को 1186 लाख रूपये की रकम का प्रावधान है।

नई सोच से बदलते हालात कैसे हैं ?

इनोवेशन के चलते यह क्षेत्र बदलाव के दौर में है। सरकार की ओर से फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में ध्यान दिए जाने से किसानों की कृषि उपज की मांग संगठित क्षेत्र में बढ़ी है। मेगा फ़ूड पार्क को मंजूरी दिए जाने से कृषि क्षेत्र मजबूत हुआ है। जैसे-जैसे स्थानीय किसान एग्रीटेक स्टार्टअप के बेहतर समाधानों के साथ जुड़े हैं, वैसे-वैसे बिजनेस के तमाम प्रारूपों को बढ़ावा मिला है।

अध्ययन के अवसर क्या हैं ?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के करीब 100 संस्थान एवं 650 कृषि विज्ञान केंद्र और तमाम राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में कृषि तकनीक एवं नए शोध के बारे में अध्ययन करने का मौका मिलता है।

एग्रो स्टार्टअप क्या करते हैं ?

कई स्टार्टअप ऐसे हैं जो इमेजनरी तकनीक के जरिये किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में बता रहे हैं। इससे किसानों को मिट्टी के अनुसार सही फर्टिलाइजर और बीजों के इस्तेमाल में मदद मिली है। मिट्टी और पानी को जांचने के लिए आईओटी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। कई स्टार्टअप किसानों को संक्रमण, जलवायु के बारे में बताने के साथ पानी की उपलब्धता और उसके छिड़काव के सिस्टम मुहैया कराने के काम से जुड़े हैं।

किसानों की कर्ज की समस्याओं को सुलझाने के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराने वाले कई संस्थान भी आगे आए हैं। कृषि क्षेत्र का डिजिटलीकरण होना इसकी एक बड़ी वजह बताई जा रही है। एग्रीटेक स्टार्टअप किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्रदान करने में मदद कर रहे हैं और बेहतर वितरण प्रणाली दे रहे हैं और बिचौलिए कम कर उनकी आमदनी में इजाफा करने में सहायक हो रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि इस क्षेत्र में आज करियर की बेहतरीन संभावनाएं मौजूद हैं।

स्टार्टअप के नियम क्या हैं ?

किसी कंपनी को स्टार्टअप की श्रेणी में आने के लिए उसका प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पार्टनरशिप फर्म या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म के रूप में रजिस्टर्ड होना जरूरी है। इसके अलावा स्टार्टअप के लिए किसी कंपनी का गठन 5 साल से पुराना नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही कंपनी का टर्नओवर 25 करोड़ रूपये तक होना चाहिए। तभी वह कंपनी स्टार्टअप की कैटेगरी में शामिल हो सकती है।

स्टार्टअप के दायरे में वही कंपनी आएगी जिसके प्रोडक्ट या सर्विस नवाचार से प्रेरित होंगे। लेकिन यदि किसी प्रोडक्ट में बदलाव किया गया है और उसका फायदा कस्टमर को मिल रहा है या नहीं, यह देखना जरूरी होगा। इसके अलावा इंडियन पेटेंट और ट्रेडमार्क ऑफिस से किसी प्रोडक्ट को पेटेंट मिलना भी एक शर्त हो सकती है। दूसरे, सरकार भी किसी प्रोडक्ट को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप को आर्थिक मदद दे सकती है।

क्षमताएं क्या होनी चाहिए ?

  • कृषि और विभिन्न तैयार फ़ूड प्रोडक्ट्स में दिलचस्पी होनी चाहिए।

  • ग्रामीण इलाकों में स्थापित प्रोसेसिंग यूनिट्स में काम करने की इच्छा होनी चाहिए।

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में एग्रो प्रोडक्ट्स की मांग और पूर्ति पर नजर होनी चाहिए।

  • कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए बड़े किसानों को समझाने की काबिलियत होनी चाहिए।

  • तर्कसंगत सोच और नेतृत्व की क्षमता होनी चाहिए।

  • संवाद कौशल होना चाहिए।

  • धैर्यवान व्यक्तित्व तथा टीमवर्क में आस्था होनी चाहिए।
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