मोबाइल का इस्तेमाल चलते हुए क्यों नहीं करना चाहिए ?

मोबाइल का इस्तेमाल चलते हुए क्यों नहीं करना चाहिए ?

सड़क पर चलते हुए मोबाइल का इस्तेमाल करना हम सबकी आदत में शुमार हो चुका है। कुछ लोग राह चलते हुए वीडियो देखते हैं, गाने सुनते हैं, सोशल मीडिया और समाचार एप स्क्रॉल करते हैं तो कुछ लोग अपने व्हाट्सएप, फेसबुक मैसेंजर और SMS संदेशों का जवाब भी देते हैं। सड़क पर चलते समय मोबाइल पर कुछ टाइप करते रहने की इस प्रक्रिया को 'टी-वॉक' कहते हैं।
अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि ऐसा करना आपके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इससे न केवल आप दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं बल्कि यह आदत सेहत के लिए भी ठीक नहीं। दीवारों से टकराना, सीढ़ियों से नीचे गिरना और यातायात दुर्घटनाएं 'टी-वॉक' के कुछ आम दुष्प्रभाव हैं।
मोबाइल फोन पर संदेश भेजते समय या गेम खेलते समय हमारा मस्तिष्क बहुत अधिक व्यस्त होता है और ऐसे में वह सड़क पर चलने जैसी जटिल क्रियाओं को सही ढंग से नियंत्रित नहीं कर पाता। फोन पर बात करने और टेक्स्टिंग, इन दोनों आदतों में टेक्स्टिंग अधिक खतरनाक है क्योंकि इसमें आप अपने सामने की चीजों को ठीक ढंग से नहीं देख पाते हैं। ऐसे में दुर्घटना का शिकार होना आम बात है।
टेक्स्ट संदेश भेजते समय मस्तिष्क बहुत-सी मानसिक उथल-पुथल से गुजरता है। अगर हम गुस्से में कोई संदेश लिख रहे हैं या बातचीत के दौरान मन में खीज हो तो उसका प्रभाव हमारी शारीरिक गतिविधियों पर भी पड़ता है। ऐसे में राह चलते किसी से लड़ाई और गाली-गलौज होना आम बात है। ऐसे लोग अपने और दूसरों के लिए बड़ा खतरा साबित होते हैं। हैरत की बात यह है कि अधिकांश लोग इस आदत के शिकार हैं लेकिन फिर भी वे स्वीकार नहीं करते कि वे एक बड़ी समस्या का हिस्सा हैं।
जब आप चलते समय हाथ में स्मार्टफोन लेकर उसकी स्क्रीन को एकटक देखते हैं तो यह शरीर पर नकारात्मक असर डालता है। इस कारण हाथों की कलाइयों, अंगुलियों, कंधे और गर्दन पर दबाव पड़ता है। शुरुआत में तो पता नहीं चलता लेकिन धीरे-धीरे समस्या बढ़ने लगती है। पहले गर्दन में दर्द शुरू होता है जो धीरे-धीरे कंधों और रीढ़ की हड्डी तक भी पहुंच जाता है। यह 'टेक्स्ट नेक सिंड्रोम' का लक्षण है। यह गर्दन और कंधे से जुड़ी बीमारी है जिसका समय पर इलाज न किया जाए तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

इन बातों का जरूर ध्यान रखें :

चलते समय शरीर के सभी हिस्सों का सामान्य अवस्था में होना बहुत जरूरी है। इस दौरान गर्दन और कमर सीधी होनी चाहिए और हाथों एवं पैरों के उठने-गिरने में लयबद्धता होनी चाहिए। जब आप लगातार मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं खासतौर से चैटिंग और मैसेजिंग के लिए, तो उस दौरान गर्दन आगे की तरफ झुकी रहती है।
जब यही हर रोज और लगातार होता है तो धीरे-धीरे इस हिस्से की हड्डियों और मांसपेशियों में बदलाव आना शुरू हो जाता है। वे एक ख़ास कोण पर झुकने और घिसने लगती हैं जिससे इनमें दर्द होने लगता है। लापरवाही की जाए तो यह दर्द कमर तक चला जाता है। इससे भविष्य में सर्वाइकल की समस्या भी हो सकती है। अगर स्थिति गंभीर हो जाती है तो सर्जरी की नौबत भी आ सकती है।
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