आँखों में जलन क्यों होती है ?
यूवाइटिस में आँखों की बीच वाली पुतली में सूजन और लालिमा आ जाती है। आँखों में मौजूद परतों में से मध्य परत को यूविया कहते हैं जो आइरिस, कोराइड और सिलिअरी से मिलकर बनी होती है। कोराइड रेटिना की गहरी परतों तक रक्त पहुंचाने का काम करती है। इन तीनों में कहीं भी अगर सूजन आती है तो तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। भारत में हर साल इस बीमारी के लगभग 10 लाख मामले सामने आते हैं।
यूवाइटिस होने के कई कारण हो सकते हैं। मसलन - रूमेटाइड आर्थराइटिस, एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, सोरायसिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस, कावासाकी रोग, क्रोन रोग, सारकॉइडोसिस, वायरस या बैक्टीरिया से होने वाले कुछ संक्रमण यूवाइटिस का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा एचआईवी एड्स, हर्पीज, सिफलिस, टीबी जैसे रोग भी इसकी वजह हो सकते हैं। दूसरी ओर किसी विषैले पदार्थ के आंखों के संपर्क में आने से या आंख में चोट लगने से भी यह बीमारी हो सकती है।
ऐसे में सवाल उठता है कि यूवाइटिस रोग को पहचानें कैसे ? अगर आंखें लाल हो जाती हैं और दर्द महसूस होता है तो यह यूवाइटिस हो सकता है। द्रष्टि में काले धब्बे नजर आना, धुंधला दिखाई देना, रोशनी के प्रति अतिसंवेदनशीलता होना, आंख की पुतली में कुछ सफेद नजर आना, तेज सिर दर्द होना, आंख के अंदर गांठ बनना और आइरिस के रंग में बदलाव आदि भी इस रोग लक्षण हैं।
इस परेशानी को समझना थोड़ा मुश्किल होता है :
आंखों की पुतली, जो भूरे रंग की होती है, उसमें अगर सूजन आती है, आंखों में दर्द या जलन होती है तो यह यूवाइटिस हो सकता है। आँख की समस्या कोई साधारण डॉक्टर नहीं, बल्कि आँख के विशेषज्ञ ही देख सकते हैं। यह बीमारी आम नहीं है और 50 फीसदी लोगों में तो इसके लक्षण भी ठीक तरह से दिखाई नहीं पड़ते इसलिए इसे समझना थोड़ा मुश्किल होता है। हालांकि आँख के अंदर के किसी भी हिस्से में अगर सूजन है तो तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।आँख के किस हिस्से में सूजन और लालिमा है, इस आधार पर डॉक्टर इलाज निर्धारित करते हैं। चिकित्सकों के अनुसार, आँखों में ड्रॉप डालना ही इसका मुख्य इलाज है इसके अलावा स्टेरॉइड दवाओं का सेवन करना पड़ता है। खाने की गोलियां या फिर आंख में इंजेक्शन भी दिया जा सकता है। ऐसे मरीज, जिनमें यूवाइटिस आंख में ज्यादा अंदर की ओर हो और इसका उपचार करना कठिन हो, उनकी आंख में एक यंत्र इंप्लांट करके इस रोग का इलाज किया जाता है।
अगर यूवाइटिस किसी संक्रमण के कारण हुआ है तो एंटीबायोटिक्स और एंटीबैक्टीरियल दवाएं देकर उपचार होता है लेकिन अगर स्थिति अधिक गंभीर हो जाए और द्रष्टि जाने का खतरा हो तो इम्यूनो सप्रेसिव दवा देकर इसे ठीक किया जाता है। दवाओं आदि के अलावा विटरेक्टॉमी नामक ऑपरेशन प्रक्रिया से भी इसका इलाज संभव है।