शरीर के तापमान को ऐसे कम करें वरना आपको भी यह बीमारी लग सकती है

शरीर के तापमान को ऐसे कम करें वरना आपको भी यह बीमारी लग सकती है
गर्मी तो हर साल पड़ती है ऐसे में शरीर के तापमान को कम करना बहुत जरूरी है। लेकिन इस साल ऐसा लगता है जैसे गर्मी ने मार्च-अप्रैल से ही कहर बरपाना शुरू कर दिया है। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल गर्मी खूब तांडव दिखाएगी। सिर्फ गर्मी नहीं, इसके साथ चलने वाली लू से बच्चे और बड़े, दोनों ही प्रभावित होंगे। लू कितनी खतरनाक होती है इसका अंदाजा तो आपको है ही, तेजी से गर्मी बढ़ने की वजह से शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता भी प्रभावित होती है और गर्मी में मांसपेशियों में ऐंठन, शरीर में थकावट, हीट स्ट्रोक और हाइपरथर्मिया जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

दिन रोज बढ़ती गर्मी में अपना ध्यान रखना हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। बच्चों के लिए हाइपरथर्मिया घातक भी साबित हो सकता है। डाक्टर के अनुसार, इसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है तो थोड़ी-सी सावधानी से इससे बचा भी जा सकता है।

हाइपरथर्मिया क्या है ?

शरीर का तापमान अचानक बढ़ने की स्थिति को हाइपरथर्मिया कहते हैं। हाइपरथर्मिया तब होता है जब आपका शरीर जितनी गर्मी छोड़ सकता है उससे ज्यादा उत्पन्न करता है। एक इंसान के शरीर का सामान्य तापमान लगभग 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। 99 या 100 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर किसी का भी तापमान गर्म माना जाता है। साधारण बुखार और हाइपरथर्मिया आमतौर पर गर्म, आर्द्र परिस्थितियों में ज्यादा काम करने की वजह से होता है।

तेज धूप से लोगों में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की शिकायत होती है जो शुगर, ब्लड प्रेशर और न्यूरो की दवाएं खाने वाले मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है। तेज धूप और गर्मी से शरीर में सोडियम और पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है। इस दौरान आपके शरीर में पानी की काफी कमी हो जाती है।

हाइपरथर्मिया खतरनाक साबित हो सकता है :

बुखार और हाइपरथर्मिया के बीच एक ख़ास अंतर यह है कि हाइपरथर्मिया में तापमान में वृद्धि साइटोकिन्स (सेलुलर मैसेंजर) द्वारा कम नहीं होती है इसलिए इसमें बुखार की तरह एस्पिरिन या एसिटामिनोफेन जैसी एंटीपायरेटिक दवाएं कोई असर नहीं करती हैं।

बुखार किसी संक्रमण के खिलाफ शरीर की एक प्राकृतिक और सुरक्षात्मक प्रक्रिया है और ज्यादातर मामलों में खतरनाक नहीं है। दूसरी ओर हाइपरथर्मिया बहुत खतरनाक है और शरीर के लिए एक गंभीर खतरा है। इसको एक गंभीर मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है और इसके रोगियों को इंटेंसिव केयर के लिए अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है।

खान-पान और रहन-सहन :

इस मौसम में तेज धूप और गर्म हवाओं के कारण हाइपरथर्मिया का खतरा वैसे ही बढ़ जाता है। इस पर अगर हम तरल पदार्थों का सेवन सही ढंग से नहीं करते और गर्म हवाओं से अपना बचाव नहीं करते तो इसका खतरा और भी बढ़ जाता है। इसके अलावा हमारा रहन-सहन भी इसका कारण बनता है। अक्सर सर्दियों में हम खुद को बहुत ढंककर रखते हैं। फिर जब एकाएक गर्मी का मौसम आता है तो शरीर यह बदलाव झेल नहीं पाता। कई बार लोग गर्मी में भी खुद को ज्यादा कपड़ों में ढंककर रखते हैं। ऐसे में हाइपरथर्मिया का खतरा रहता है।

चक्कर, उल्टी और त्वचा लाल :

जब तेज सिर दर्द, सांस तेजी से लेना, दिल की धड़कन तेज होना, त्वचा लाल हो जाना, चक्कर आना, उल्टी आना, अधिक पसीना आना जैसे लक्षण दिखने लगें तो समझ जाएं कि यह हाइपरथर्मिया अटैक है। इसके बाद मरीज को तुरंत मेडिकल केयर में रखना चाहिए।

पानी और अन्य तरल पदार्थ :

इस मौसम में पानी कम पीने से इसके होने की आशंका अधिक रहती है। लोगों को इस मौसम में अपना खास ख्याल रखना चाहिए। इस मौसम में सबसे फायदेमंद है पानी और दूसरे तरल पदार्थ हैं इसलिए इन चीजों का उपयोग करें। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजों सेवन करें। शरीर को ज्यादा ढंककर न रखें, सूती कपड़े ही पहनें और ठंडे कमरे या ठंडे स्थान पर रहें। ज्यादा गर्म होने पर शरीर पर गीला कपड़ा फेरते रहें। कमरे के तापमान को 30 डिग्री तक रखने का प्रयास करें।

ओआरएस, ग्लूकोस या नींबू पानी का सेवन करें। साथ ही लस्सी, मठा, सत्तू का शरबत, ठंडाई आदि जैसे पेय पदार्थ लेते रहें। धूप और तेज गर्मी से बचें। परवल, लौकी, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, मौसमी, संतरा, अंगूर, आम और अनार खाएं और कड़वे, खट्टे, चटपटे, मिर्च-मसालेदार तले खाने से बचें। बासे भोजन न करें। सूर्योदय से पहले स्नान कर दो से तीन किलोमीटर तक टहलें। तेज बुखार होने पर कोल्ड स्पंजिंग करें।

ज्यादा पसीना आने पर क्या करें ?

हाइपरथर्मिया का अर्थ है शरीर के तापमान का अत्यधिक बढ़ जाना। तेज बुखार, कमजोरी, उल्टी, पेट दर्द, शरीर दर्द, शरीर लाल होने या ज्यादा पसीना आने पर नींबू पानी, ओआरएस घोल, छाछ, शिकंजी, खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, खीरा, संतरे आदि का सेवन करें। दोपहर 2-4 बजे के बीच घर पर रहें। बाहर गर्मी में छाता लेकर चलें और सुबह-शाम स्नान करें। तेज धूप में व्यायाम न करें। चाय, कॉफी न पीएं। बच्चों को पार्क में खेलने के लिए देर तक न छोड़ें, खासकर दोपहर में।

शिकंजी, छाछ और नारियल पानी :

बच्चे अपना ख्याल खुद नहीं रखते और पानी बहुत कम पीते हैं। इसकी वजह से उन्हें हीट स्ट्रोक और हाइपरथर्मिया का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में उनका ख़ास ख्याल रखना जरूरी है। उनके शरीर को हाइड्रेट रखना और बाहर के तापमान के साथ शरीर के तापमान का संतुलन रखना बहुत जरूरी है। बच्चों को हल्के, लाइट कलर और सूती कपड़े पहनाएं। उन्हें फ्रेश जूस, शिकंजी, छाछ, नारियल पानी दें। दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को मिनरल्स भी दे सकते हैं।

बच्चों के लिए ज्यादा घातक :

स्कूल जाते वक्त या बाहर खेलते वक्त भी वे भीषण गर्मी की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में उन्हें हीट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है और वे पानी का सेवन बहुत कम करते हैं जिसकी वजह से उनका शरीर हाइड्रेट नहीं रह पाता है और वे हाइपरथर्मिया का शिकार हो सकते हैं। कई बार यह घातक भी साबित हो जाता है।

अगर ये लक्षण दिखाई दें :

  • हल्के-से बुखार से शुरू होकर शरीर का तापमान बढ़ता जाता है।

  • शरीर में दर्द, आलस्य और असहज महसूस होता है।

  • अगर तापमान ज्यादा हो रहा है तो मतलब यह आम बुखार नहीं है।

  • बेहोश होना और कई बार ब्लीडिंग की समस्या भी होती है।

  • किसी भी काम में सक्रिय नहीं रहना और चिड़चिड़ापन रहना।

इससे बचने के लिए ये उपाय करें :

  • सबसे पहले शरीर के तापमान को थोड़ा ठंडा करने की कोशिश करें।

  • बाहर का तापमान और शरीर के तापमान में एक संतुलन होना चाहिए।

  • एकदम से गर्मी और एकदम से ठंडक न करें।

  • बच्चों को हल्के, लाइट कलर और सूती कपड़े पहनाएं।

  • शरीर से पसीना निकलना बेहद जरूरी है।

  • जितना हो सके, शरीर को हाइड्रेट रखें और पानी का सेवन करते रहें।

  • फ्रेश जूस, शिकंजी, छाछ, नारियल का पानी का सेवन करते रहें।

  • दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को पानी के अलावा मिनरल्स भी दें।

  • बच्चे खाना ज्यादा नहीं खाते इसलिए उन्हें तरल पदार्थ दें।

  • लू और गर्मी से बचाव के लिए बच्चों को कवर करें।
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