दांत पीसना छोड़ दें वरना आप इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं

दांत पीसना छोड़ दें वरना आप इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं

आमतौर पर लोगों को लगता है कि दांत पीसना या भींचना सिर्फ एक आदत है लेकिन यह कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकती है। अक्सर ऐसा करते समय ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे एक गंभीर खतरे को दावत दे रहे हैं। अगर आप अपने दातों को लगातार पीसते हैं या दांतों को कटकटाते हैं तो आप 'ब्रुक्सिज्म' नामक बीमारी का शिकार हो सकते हैं।
इस बीमारी से ग्रस्त लोग दिन हो या रात, जाने-अनजाने किसी भी समय अपने दांतों को पीसते रहते हैं। यह एक आदत की तरह हो जाती है और व्यक्ति समझ ही नहीं पाता कि इससे उसको कितना नुकसान पहुंच रहा है। इससे प्रभावित होने वाले ज्यादातर लोग रात में नींद के दौरान ही ऐसा करते हैं।
इसके ढेर सारे दुष्परिणाम हैं। लंबे समय तक ऐसा करने से जबड़ों की बनावट और उनके आकार में बदलाव आ जाता है। वे अपने मूल स्थान से हटकर अगल-बगल या आगे-पीछे हो जाते हैं। इसकी वजह से जबड़ों में तेज दर्द होने लगता है और दांतों की ऊपरी परत घिसने लगती है। ऐसी स्थिति में दांतों की चबाने की क्षमता में कमी आ जाती है।
चेहरे की मांसपेशियों में दर्द, तेज सिर दर्द, कानों का दर्द और दांतों का घिसना ब्रुक्सिज्म बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। खोपड़ी के जोड़ों में दर्द होना, दांतों के बीच के हिस्से में दरारें आना, दांतों की बनावट में गड़बड़ी, मसूड़ों में ढीलापन और दांतों के हिलने के साथ जबड़े से जुड़ीं बहुत सी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। दांतों के छोटे होते जाने से मुंह के दोनों किनारों से लार भी निकलने लगती है। इसकी वजह से मुंह हमेशा सूखा रहता है।
कुछ मामलों में अत्यधिक तनाव और धूम्रपान की लत ब्रुक्सिज्म बीमारी को बढ़ावा देती है। कुछ स्थिति में यह रोग न्यूरोलॉजिकल विकारों से भी संबंधित होता है। इस रोग की वजह से स्लीप पैटर्न में गड़बड़ी और चेहरे की मांसपेशियों में विकृति आने की आशंका बढ़ जाती है। डिप्रेशन और तीव्र प्रतिस्पर्धी प्रकृति के कारण भी ब्रुक्सिज्म होता है। पार्किसंस रोग भी इसका एक कारण हो सकता है।
आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि यह बच्चों से जुड़ी बीमारी है लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। बच्चे और बड़े, दोनों ही इससे प्रभावित होते हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी आदतों को पहचानें। जाने या अनजाने में अगर अपने दांतों को भींचते हों तो इस पर काबू करने का प्रयास करें। धूम्रपान करते हों तो जितनी जल्दी हो सके, इस आदत का परित्याग करें।
अगर आप किसी तरह के मानसिक तनाव से गुजर रहे हों तो उसके निदान के विकल्पों की तलाश करें क्योंकि इस बीमारी में तनाव से प्रभावित लोगों की संख्या अच्छी-खासी है। नियमित दिनचर्या अपनाएं और भरपूर नींद लें। चेहरे की मांसपेशियों को आराम देने वाले व्यायाम करें। समस्या के बढ़ने पर दंत चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

ब्रुक्सिज्म से निपटने के लिए माउथ गार्ड प्रभावी है :

ब्रुक्सिज्म की आशंका होने पर दंत चिकित्सक निदान के लिए कुछ जांच करवा सकते हैं। आमतौर पर एक्स-रे की मदद से दांतों और जबड़ों को हुए नुकसान का पता लगाया जाता है। इसके अलावा दांतों की गहन जांच कर ब्रुक्सिज्म की वजह से होने वाले अन्य विकारों का पता भी लगाया जाता है जो जबड़े या कानों के दर्द का कारण बन सकते हैं। तनाव या नींद के प्रभावित होने पर मनोचिकित्सक की सलाह भी ली जाती है। ब्रुक्सिज्म से निपटने के लिए 'माउथ गार्ड' एक प्रभावी तरीका है। यह एक रात के समय दांतों में लगाया जाता है। इसके उपयोग से दांतों को होने वाली क्षति को रोका जाता है।
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