शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का ऐसे लाभ उठाएं
शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। अगर आप इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो एक निवेशक के रूप में अपने जोखिम का आकलन जरूर करें। इक्विटी म्युचुअल फंड पूरी तरह जोखिम के अधीन है और यह पूरी तरह बाजार जोखिम पर निर्भर रहता है।
- इसका मतलब है कि शेयर बाजार में जब भी गिरावट आती है तो निवेशकों का पोर्टफोलियो घट जाता है जबकि तेजी के दौर में उन्हें मुनाफा होता है। इसलिए म्युचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए वित्तीय अनुशासन जरूरी है।
- एसेट अलोकेशन (परिसंपत्तियों का बंटवारा) के साथ समय-समय पर पोर्टफोलियो की समीक्षा करें। इससे न सिर्फ निवेश सुरक्षित रहता है बल्कि बेहतर रिटर्न भी मिलता है।
इक्विटी म्युचुअल फंड में चार तरह की श्रेणी होती हैं :
- स्मॉलकैप
- मिडकैप
- लार्जकैप
- मिक्स्डकैप
इक्विटी म्युचुअल फंड की अलग-अलग श्रेणी में निवेश करें :
इक्विटी म्युचुअल फंड की अलग-अलग श्रेणी होती है। यह स्मॉलकैप, मिडकैप, लार्जकैप और मिक्स्डकैप हो सकता है। अपने जोखिम के हिसाब से ही फंड चुनें। उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने के लिए निवेशकों के लिए जरूरी है कि वे अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं। इसका मतलब है कि अपने पोर्टफोलियो में मिडकैप, स्मॉलकैप, लार्जकैप सबको जगह दें।शेयर बाजार में गिरावट है तो स्मॉलकैप पर जोर दें :
बाजार में जब उतार-चढ़ाव का दौर शुरू होता है तो तेजी से गिरावट दोनों समय म्युचुअल फंड के यूनिट पर असर होता है। हालांकि, लार्जकैप फंड पर असर कम होता है जबकि स्मॉलकैप में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा जाता है।- निवेशक उतार-चढ़ाव बढ़ने पर स्मॉलकैप, मिडकैप और लार्जकैप में निवेश घटा-बढ़ा सकते हैं। बाजार में जब गिरावट आए तो स्मॉलकैप में निवेश बढ़ा सकते हैं। तेजी आने पर यह ज्यादा रिटर्न दे सकता है।