पेट का दर्द कहीं अल्सर ना बन जाए इसलिए ये सावधानी बरतें
ज्यादातर अल्सर पेट एवं आंतों की अंदरूनी सतह पर अम्ल (एसिड) के दुष्प्रभावों के कारण बनते हैं। जब यह एसिड अंदरूनी सतह के संपर्क में आता है तो वहां एक जख्म हो जाता है। वैसे तो अल्सर कई तरह के होते हैं लेकिन आमतौर पर ज्यादातर लोग गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर से परेशान रहते हैं। पेट में होने वाले अल्सर को 'गैस्ट्रिक अल्सर' तो छोटी आंतों में होने वाले अल्सर को 'डुओडेनल अल्सर' कहा जाता है।
अल्सर होने पर पेट में तेज दर्द, जलन, उल्टी या मिचली के अलावा गैस और खट्टी डकार, पेट में भारीपन, भूख में कमी, वजन घटना, रक्तस्त्राव और मल में रक्त आने जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। रोगी को उल्टियां लगती हैं। कई बार उल्टियों में खून भी आने लगता है। रोग की गंभीरता बढ़ जाने पर अल्सर फट जाता है जिससे आंतों में छेद भी हो सकता है।
अनियमित दिनचर्या, खानपान की गलत आदतें और उसकी वजह से पेट में बनने वाला एसिड, अल्सर की मुख्य वजह है। मसालेदार भोजन, शराब और तंबाकू के सेवन के अलावा लीवर, किडनी या फेफड़ों से संबंधित बीमारी से ग्रस्त होने पर भी अल्सर हो सकता है। लंबे समय तक एंटीबायोटिक, दर्द निवारक दवाइयों या स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से भी यह बीमारी हो जाती है।
मानसिक तनाव की वजह से भी बहुत से लोगों को अल्सर की तकलीफ हो रही है क्योंकि तनाव की अवस्था में शरीर में एसिड तेजी से बनता है। 'हेलिकोबैक्टर पाइलोरी' बैक्टीरिया भी अल्सर का एक मुख्य कारण है। वैसे तो यह ज्यादातर वयस्कों के पेट में पाया जाता है और आमतौर पर किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन कभी-कभी यह पेट और आंतों को गंभीर रूप से संक्रमित कर देता है जिससे अल्सर बनने लगते हैं। अगर समय पर उपचार न हो तो अल्सर, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का रूप भी ले सकता है।
डुओडेनल अल्सर से कैंसर का खतरा तो नहीं होता, लेकिन गैस्ट्रिक अल्सर के बढ़ने पर कैंसर के होने की आशंका बनी रहती है। अल्सर का इलाज समय रहते न किया जाए तो यह और भी खतरनाक हो सकता है। इससे बचने के लिए किसी भी तरह के नशे से दूर रहें। मिर्च-मसाले एवं तेल का सेवन कम या पूरी तरह से बंद कर दें। भोजन पकाते और करते समय स्वच्छ्ता का विशेष ध्यान रखें। पीने वाले पानी की शुद्धता और स्वच्छ्ता का भी ख्याल रखें। आपाधापी की बजाय खाना आराम से और निर्धारित समय पर खाएं।