लैपटॉप या कंप्यूटर पर एक जगह घंटों बैठकर क्षमता से अधिक काम करने वाले जरूर पढ़ें

लैपटॉप या कंप्यूटर पर एक जगह घंटों बैठकर क्षमता से अधिक काम करने वाले जरूर पढ़ें


लैपटॉप या कंप्यूटर पर एक जगह घंटों बैठकर क्षमता से अधिक काम करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। जीवन में कुछ हासिल करने के लिए करते रहना बहुत जरूरी है। आगे बढ़ने के लिए पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम करना चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन अगर यही काम आपके ऊपर हावी होने लगे और आप एक तय सीमा से अधिक समय काम में ही बिताने लगें तो इसे सामान्य मानसिक स्थिति नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोगों को 'वर्कोहलिक' कहा जाता है।

आमतौर पर ऐसे लोग काम किए बिना रह नहीं पाते। हर घड़ी बस काम के बारे में ही सोचते रहते हैं। कह सकते हैं कि उन्हें लगातार काम करने का नशा रहता है। अगर थोड़ा भी खाली समय हो तो इनको उलझन होने लगती है। देखा जाए तो काम को लेकर मिलने वाला प्रोत्साहन उनकी इस भावना को बढ़ाता है। यह एक दिन में होने वाली प्रक्रिया नहीं है। यह आदत बचपन से ही लग जाती है, जो काफी हद तक व्यक्ति की शिक्षा और उसके माहौल के अनुसार तय होती है। हो सकता है, उसे जीवन में कुछ ऐसे अनुभव हुए हों, जिस वजह से वह वर्कोहलिक बन गया हो।

दिन-रात काम में डूबे रहना उस व्यक्ति के लिए तो ठीक हो सकता है, लेकिन इसके बदले में उसे अपने जीवन में कितना नुकसान उठाना पड़ता है, शायद ही वह इसका अंदाजा लगा पाए। कहते हैं कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं। केवल काम करते रहना ही जीवन का उद्देश्य हो, ऐसा कई मायनों में सही नहीं लगता। हमारा शरीर एक मशीन की तरह है, जिसे समय-समय पर सोने और आराम करने की जरूरत होती है। घूमना-फिरना, मनोरंजन और परिवार के साथ समय बिताना भी जीवन का अंग है।

शुरूआत में तो इस तरह की मानसिकता से होने वाले नुकसान का कोई अहसास नहीं होता, लेकिन जब सालों तक ऐसा होता है तो शरीर पर इसका व्यापक असर पड़ सकता है। लंबे समय तक दिनचर्या और खान-पान प्रभावित होने की वजह से शरीर के अंगों में क्षरण होने लगता है। पाचन से लेकर श्वसन तंत्र तक शरीर में तमाम दिक्कतें आनी शुरू हो जाती हैं।

लैपटॉप या कंप्यूटर पर घंटों बैठकर काम करने से मेटाबॉलिज्म कमजोर हो जाता है और अंगों में चर्बी जमा होने लगती है। ऐसे में लोग मोटापे का शिकार हो जाते हैं। काम के अधिक दबाव का असर व्यक्ति की मानसिक कोशिकाओं पर पड़ता है। ऐसे लोग परिवार और काम के बीच संतुलन नहीं बना पाते। परिवार के साथ समय नहीं बिताने से धीरे-धीरे प्रियजनों के साथ मनमुटाव की स्थिति आने लगती है।

क्षमता से अधिक काम करने के कारण व्यक्ति का इम्यून सिस्टम भी प्रभावित होता है। एक ही जगह घंटों काम करने वाले लोगों के ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट आने लगती है। काम के साथ-साथ व्यक्ति तनाव भी लेता है, जिसका बुरा असर उनकी धमनियों पर पड़ता है। रोजाना पर्याप्त नींद न लेने से व्यक्ति कई तरह की मानसिक परेशानियों से भी जूझने लगता है। तनाव और अवसाद की समस्या भी ऐसे लोगों को हो सकती है।

इससे बचने के लिए ये उपाय करें :

इससे बचने के लिए शरीर को समय-समय पर आराम देना जरूरी है। काम करने के घंटे निर्धारित करें। काम करने के दौरान ब्रेक लेते रहें। परिवारजन ऐसे लोगों को हरदम ताने न मारें, बल्कि इनकी सेहत पर ध्यान दें। इससे बचने के लिए हर दिन 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। इसके अलावा स्वास्थ्यवर्धक भोजन करें। तमाम कोशिशों के बाद भी अगर इस तरह की आदत बनी रहती है तो मनोचिकित्सक से सलाह लें।
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