एज कंप्यूटिंग के ढेर सारे फायदे हैं। यह तकनीक डाटा को आप तक तेज गति से पहुंचाती है। इसकी मदद से मशीनें बेहतर ढंग से काम कर रही हैं और बहुत सारे एप 'यूजर फ्रेंडली' हो रहे हैं। आपको अपने पसंदीदा ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कोई फिल्म देखनी हो या मीलों दूर बैठे किसी डॉक्टर से सलाह लेनी हो, अब आपको वीडियो के बफरिंग टाइम या स्लो इंटरनेट स्पीड की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। रेलवे का टिकट बुक करना हो तो पेमेंट फेल होने का डर नहीं है। कहीं जाना हो तो नेविगेशन एप ट्रैफिक की सही जानकारी देंगे।
क्लाउड नेटवर्क के पुराने बाधाओं वाले दिन अब पीछे छूटने वाले हैं। एज कंप्यूटिंग, इंटरनेट और नेटवर्किंग की दुनिया में दस्तक दे चुकी है और इसका दायरा बढ़ता ही जा रहा है। टेक्सटाइल हो या हेल्थकेयर, ऑटो इंडस्ट्री हो, बैंकिंग सेक्टर या फिर रिटेल स्टोर्स की चेन, यह हर जगह मौजूद है।
एज कंप्यूटिंग क्या है ?
यह ऐसी एक तकनीक है जो डाटा को आप तक तेज गति से पहुंचाती है। क्लाउड कंप्यूटिंग के विपरीत एज कंप्यूटिंग में डाटा को एक जगह इकट्ठा करने की बजाय उसे भौगोलिक इकाइयों के हिसाब से छोटे-छोटे हिस्सों में संग्रहित किया जाता है। इसका लाभ यह होता है कि डाटा की रिप्रोसेसिंग में समय कम लगता है और इंटरनेट की बैंडविथ, जिससे उसकी रफ्तार तय होती है और लोड कम पड़ता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग से कितनी अलग है ?
क्लाउड कंप्यूटिंग ने कुछ साल पहले ही दस्तक दी है। इसकी मदद से आप अपने फोन या लैपटॉप से कोई भी कंटेंट कहीं से भी एक्सेस कर सकते हैं। इसमें डाटा सेंट्रलाइज्ड होकर क्लाउड्स में स्टोर होते हैं। चूंकि सारा डाटा क्लाउड्स में ही प्रोसेस होता है तो सर्वर से उस डाटा को रिकॉल करने पर ट्रांजेक्शन में बहुत समय लगता है और स्पीड धीमी हो जाती है। जबकि एज कंप्यूटिंग में डाटा को नेटवर्क के छोटे-छोटे हिस्सों पर सेव किया जाता है, इसलिए उसे फिर से एक्सेस करना आसान होता है।
एज कंप्यूटिंग का इस्तेमाल कहां-कहां होगा ?
एज कंप्यूटिंग द्वारा 5G टेक्नोलॉजी के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके डाटा रिस्पॉन्स को तेज बनाया जाएगा। इसके रिजल्ट भी एकदम सटीक मिलेंगे। प्रोसेसिंग तेज होगी तो इंटरनेट पर आधारित सेवाएं पहले से सुगम हो जाएंगी। तेज नेटवर्किंग रियल टाइम एप्लीकेशन तैयार करने और उनके संचालन के लिए अति आवश्यक है। इनमें वीडियो प्रोसेसिंग, एनालिटिक्स, स्वचालित कार, रोबोटिक्स, फेस रिकॉग्निशन आदि सभी शामिल हैं। यह टाइम सेविंग के साथ-साथ सुरक्षित भी है, क्योंकि इसमें 'एंड टू एंड एंक्रिप्शन' का प्रयोग होता है।