नवरात्रि में मातारानी की स्थापना विधि और पूजा विधि जानिए

Happy Navratri : नवरात्रि में मातारानी की स्थापना विधि और पूजा विधि जानिए

Happy Navratri 2023

नवरात्रि में मातारानी की स्थापना विधि और पूजा विधि जानिए 

भगवती के नाम दुर्गा में 'द' अक्षर दुख, दरिद्रता, दुर्व्यसन तथा दैत्यों के विनाश का सूचक है, 'र' अक्षर रोग का नाश करता है और 'ग' अधर्म, अन्याय, असुरों का गमन करता है। 
अपने विराट स्वरूप को प्रकट करते हुए दुर्गा सप्तशती में भगवती कहती हैं कि इस जगत में मेरे अतिरिक्त दूसरा कौन है, मैं ही एक हूं। आदिशक्ति 'एकमेव' एवं 'अद्वितीय' होते हुए भी नवदुर्गा के रूप में विभक्त होकर भक्तों का कल्याण करती हैं।  

- शैलपुत्री के रूप में मां भगवती, भक्त के जीवन की रक्षा करती हैं। 
- ब्रह्मचारिणी के रूप में भक्त के अंदर समाहित नकारात्मक मनोभावों को दूर कर सद्बुद्धि एवं स्मरण शक्ति बढ़ाती हैं।  
- चंद्रघंटा के रूप में मां आरोग्य एवं संपदा प्रदान करती हैं। 
- कूष्मांडा के स्वरूप में भक्त को यश, धन, वैभव दिलाती हैं। 
- स्कंदमाता के स्वरूप में मां अपने भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं। 
- कात्यायनी के रूप में जीवन संग्राम में भक्त को विजयी बनाती हैं। 
- कालरात्रि का रूप धारण कर देवी भगवती, भक्त के ग्रह कष्टों को हर लेती हैं। 
- महागौरी के रूप में भगवती, भक्तों को सफलता की राह दिखाती हैं। 
- सिद्धिदात्री के रूप में भक्त को सिद्धि और मोक्ष प्रदान करती हैं।  

नवरात्रि में जो भक्त जिस मनोभाव और कामना से देवी के जिस स्वरूप की श्रद्धापूर्वक विधि-विधान के साथ उपासना करता हैं, उसे उसी भावना और कामना के अनुसार मां फल प्रदान करती हैं। 

घट स्थापना एवं पूजा विधि 

नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करें और मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की उपासना करें। इसके बाद प्रत्येक दिन मां भगवती के विभिन्न स्वरूपों की क्रम से आराधना करें। भक्त चाहें तो श्रद्धापूर्वक मां के दुर्गा रूप में सम्मिलित सभी नौ रूपों की आराधना कर सकते हैं। 
गंगा अथवा पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी में जौ बोकर उसके ऊपर कलश स्थापित करें और साथ ही देसी घी का अखंड दीपक प्रज्वलित करें। मां की मूर्ति, प्रतिमा को लाल, पीले वस्त्र को बिछाकर लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें। धूप, दीप, नैवेद्य सहित षोडशोपचार पूजन करें। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ-जप, हवन, अनुष्ठान आदि से दुर्भाग्य दूर होता है। 
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