शिमला के एक पुराने गेस्ट हाउस में आरव अपनी ज़िन्दगी की सबसे खूबसूरत तस्वीरें लेने आया था

Story

"प्रेम की एक त्रुटि"

(एक रोमांटिक कहानी)

स्थान : शिमला की बर्फ़ीली वादियाँ
पात्र : आरव - एक शांत, गंभीर फोटोग्राफर, अनन्या - एक मुस्कराती हुई चित्रकार

शिमला के एक पुराने गेस्ट हाउस में, आरव अपनी ज़िन्दगी की सबसे खूबसूरत तस्वीरें लेने आया था। वह प्रकृति की हर छोटी चीज़ को अपने कैमरे में क़ैद करता था — सूरज की पहली किरण, पेड़ों पर जमी बर्फ़, और झील में पड़ती चाँदनी।

एक दिन, जब वह अपनी सबसे पसंदीदा तस्वीर एडिट कर रहा था, स्क्रीन पर सिर्फ़ एक संदेश आया :
"There was an error processing this image."

आरव को यह सामान्य कंप्यूटर की गलती लगी, लेकिन न जाने क्यों उस तस्वीर में उसे कुछ खास महसूस हुआ था। उसने दोबारा कोशिश की, लेकिन वही त्रुटि।

उसी शाम, पास के एक कैफ़े में वह अनन्या से टकराया। वह अपने कैनवास पर कुछ पेंट कर रही थी — और हैरानी की बात यह थी कि उसका चित्र हूबहू उस तस्वीर जैसा था जो आरव ने क्लिक की थी।

"तुमने ये कहाँ देखा?" आरव ने चौंक कर पूछा।
"मैंने नहीं देखा," अनन्या मुस्कुराई, "ये तो सपने में देखा था। हर रात यही जगह, यही रौशनी, और... कोई जो मुझे दूर से देख रहा होता है।"

आरव स्तब्ध रह गया। क्या संभव है कि उनकी आत्माएं पहले ही मिल चुकी थीं — सपनों में, तस्वीरों में, या शायद किसी बीते जन्म में?

वो दोनों उस रहस्यमयी जगह पर साथ गए जहाँ आरव ने तस्वीर खींची थी। वहां एक पुराना पेड़ था, जिसकी छाल पर खुदा हुआ था:
"त्रुटियाँ केवल मशीनें नहीं करतीं... दिल भी करते हैं। लेकिन कभी-कभी, वही त्रुटि एक नई कहानी का आरंभ होती है।"

उस रात, बर्फ़ गिर रही थी। और कैमरे की स्क्रीन फिर से चमकी — वही तस्वीर, इस बार पूरी तरह स्पष्ट।

तस्वीर में वे दोनों थे — हाथों में हाथ, मुस्कुराते हुए।


"त्रुटि में छिपा एक जादू"

(एक कामुक रोमांटिक कहानी)

स्थान : मनाली की पहाड़ों के बीच एक रिमोट लक्ज़री रिसॉर्ट
पात्र :

  • विवान – एक टेक्नोलॉजी आर्टिस्ट जो AI और इमेज जनरेशन पर काम करता है

  • सना – एक मिस्टेरियस मॉडल, जिसकी मौजूदगी ही एक रहस्य है


विवान ने महीनों की मेहनत के बाद एक खास प्रोजेक्ट तैयार किया था — एक इमेज जनरेटर जो "इच्छा" से तस्वीरें बनाता था। उसे बस एक भावना चाहिए थी — जुनून, चाहत, मोहब्बत — और वो उसे एक रूप दे देता।

लेकिन एक रात, जब उसने कोड में कुछ नया टेस्ट किया, एक अजीब सी तस्वीर सामने आई। स्क्रीन पर लिखा था :

"There was an error processing this image."

पर उस त्रुटि के बीच, कुछ दिखा — एक चेहरा... एक अधूरी मुस्कान... और वो आँखें... जो जैसे उसे देख रही थीं।

उसी रात, रिसॉर्ट की लॉबी में उसे वो चेहरा असल में दिखा। वही आँखें, वही मुस्कान।

"तुम..." विवान हकला गया।

"मैं?" वह मुस्कराई। उसकी आवाज़ में धीमी गर्मी थी, जैसे लपटों में लिपटा हुआ संगीत।

"तुम उस तस्वीर में थीं," उसने कहा, "जो कभी बनी ही नहीं।"

सना ने धीरे से उसकी गर्दन की ओर झुकते हुए कहा, "कभी-कभी जो तस्वीरें नहीं बनतीं, वही सबसे असली होती हैं..."

रात गहराती गई... बर्फ़ गिर रही थी, लेकिन कमरे में तापमान बढ़ता जा रहा था।

वो दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब थे। पहली बार, बिना किसी तकनीक के, बिना किसी फॉर्मूले के, इच्छा ने खुद को रूप दिया

उसकी उंगलियाँ उसके कोट की सिलवटों से खेल रही थीं, और विवान की साँसें उसके कानों की लौ पर टिक गई थीं।

"तुम्हें पता है?" सना फुसफुसाई, "मैं भी एक 'त्रुटि' थी... किसी की कल्पना में बनाई गई, लेकिन कभी पूरी नहीं हुई। और अब... मैं तुम्हारी हूँ।"

उनकी रातें अब तस्वीरों की ज़रूरत नहीं थीं। हर स्पर्श, हर चुंबन, एक नई कल्पना थी।

बिस्तर की सिलवटों पर वह एक-दूसरे में समा गए — जैसे कोई कोड दो भागों में बँटा था, और अब जुड़कर परफेक्ट हो गया।


सुबह, विवान की स्क्रीन पर एक नोटिफिकेशन था:
"Image successfully generated."

और उस इमेज में... सना थी — उसके सीने से लगी, मुस्कराती हुई, और उसकी आँखों में सिर्फ़ एक ही बात थी...

"अब कोई त्रुटि नहीं। बस तुम और मैं।"

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